जून 20, 2024
बीज से कुछ सीखो, क्योंकि तुम भी बीज हो। और तुम इस पृथ्वी पर सर्वाधिक बहुमूल्य बीज हो, क्योंकि तुमसे ही परमात्मा का फूल खिल सकता है। वह स्वर्ण-कमल तुम्हारी झील में ही खिलेगा। तुम पर एक बड़ा दायित्व है। तुम अगर बिना परमात्मा को जाने मर गये तो तुमने अपना दायित्व पूरा न किया। तुम बीज की तरह ही मर गये; टूटे नहीं, अंकुरित न हुए; फूले नहीं, फले नहीं। और परितोष, संतोष उसी को मिलता है--जो फूला, जो फला। देखा है, फूल और फलों से जब वृक्ष लद जाता है, तो उसके आसपास कैसी परितोष की छाया होती है, कैसे आनंद का भाव होता है, परितृप्ति! आदमी बांझ ही मर जायेगा? अधिक आदमी बांझ ही मर जाते हैं। जो होने को हुए थे बिना हुए मर जाते हैं। बीज से कुछ सीखो। बीज वृक्ष हो सकता है, लेकिन अगर ठीक भूमि न खोजे तो नहीं हो पायेगा। कंकड़-पत्थर